गामक खेत, नदी आ ओ आमक फूलवारी
खेतक कदवा, गँजार आ कुमरौरी, अदौरीकेँ तरकारी
मरुवाकेँ रोटी आ मारा माछक चहटगर चटनी
रौद कोन पानि कोन सभमे गीत गाबि कए खटनी
फूलवारी महँक मचान, ताहिपर तासक विश्व कपकेँ घमासान
महन्थ थानपर गप्प सरक्काकेँ लागल ओ साँझ भोरक दोकान
गाछ, वृक्ष, पोखरि, झाँखरि आइ सभ मोन पडैत अछि
नै जानी किए शहरमे रहितो नजरि ओहने बात तकैत अछि
© कुन्दन कुमार कर्ण
खेतक कदवा, गँजार आ कुमरौरी, अदौरीकेँ तरकारी
मरुवाकेँ रोटी आ मारा माछक चहटगर चटनी
रौद कोन पानि कोन सभमे गीत गाबि कए खटनी
फूलवारी महँक मचान, ताहिपर तासक विश्व कपकेँ घमासान
महन्थ थानपर गप्प सरक्काकेँ लागल ओ साँझ भोरक दोकान
गाछ, वृक्ष, पोखरि, झाँखरि आइ सभ मोन पडैत अछि
नै जानी किए शहरमे रहितो नजरि ओहने बात तकैत अछि
© कुन्दन कुमार कर्ण
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