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अप्रैल, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

विशेष

मुखपोथी (फेसबुक)पर लोकप्रिय भेल किछु शेर

'मैथिली शाइरी' जे कि सामाजिक सञ्जालक युगमे पछिला एक दशकसँ बहुक लोकप्रिय भेलै आओर दिनप्रति दिन एकर लोकप्रियतामे निरन्तर वृद्धि भऽ रहल छै । पाठक सभक प्रेमकें ध्यानमे रखैत शेर- ओ-शाइरीक एहि यात्रामे हम फेसबुक पर शेर सभ साझा करैत रहैत छी । सन् २०२५ मे एखन धरि प्रस्तुत भेल शेर निम्न प्रकार अछि । मैथिली गजल प्रेमी सभसँ निहोरा अछि जे  ई पढि  अपन प्रतिकृया देल जाय । फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसकुबपर देखबाक लेल क्लिक करू   फेसकुबपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू पढबाक लेल धन्यवाद ।

गजल - ओ एलै बहार एलै

ओ एलै बहार एलै सुनि मोनक पुकार एलै गेलै मोन भरि उमंगसँ नेहक जे हँकार एलै हुनकर आगमनसँ हियमे प्रीतक रस अपार एलै दुनियाँ नीक लाग लगलै जिनगीकेँ किनार एलै सपना भेल एक पूरा सुखकेँ दिन हजार एलै मात्राक्रम : 2221-2122 © कुन्दन कुमार कर्ण

गजल - बादलमे नुका जाइ छैक चान किए

बादलमे नुका जाइ छैक चान किए अप्पन एतऽ बनि जाइ छैक आन किए करबै नेह जे केकरो अपार हियसँ तकरो बाद घटि जाइ छैक मान किए राखब बात जे दाबि मोनकेँ कहुना सभकेँ लागिये जाइ छैक भान किए चाहब जे रही खुश सदति हँसैत मुदा ई फुसि केर बनि जाइ छैक शान किए कुन्दन कल्पनामे गजल कहैत चलल सभ बुझि लेलकै प्रीत केर गान किए मात्राक्रम: 2221-2212-12112 ©कुन्दन कुमार कर्ण