सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

दिसंबर, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

विशेष

मुखपोथी (फेसबुक)पर लोकप्रिय भेल किछु शेर

'मैथिली शाइरी' जे कि सामाजिक सञ्जालक युगमे पछिला एक दशकसँ बहुक लोकप्रिय भेलै आओर दिनप्रति दिन एकर लोकप्रियतामे निरन्तर वृद्धि भऽ रहल छै । पाठक सभक प्रेमकें ध्यानमे रखैत शेर- ओ-शाइरीक एहि यात्रामे हम फेसबुक पर शेर सभ साझा करैत रहैत छी । सन् २०२५ मे एखन धरि प्रस्तुत भेल शेर निम्न प्रकार अछि । मैथिली गजल प्रेमी सभसँ निहोरा अछि जे  ई पढि  अपन प्रतिकृया देल जाय । फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसकुबपर देखबाक लेल क्लिक करू   फेसकुबपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू पढबाक लेल धन्यवाद ।

गजल (मिथिला आन्दोलन विशेष)

बहराउ यौ मैथिल घरसँ मोनमे ई ठानि कऽ लेबे करब मिथिला राज्य आब छाती तानि कऽ हे वीर मैथिल देखाक वीरता अभिमानसँ आजाद मिथिलाकेँ लेल सब लडू समधानि कऽ हो गाम या शहर छी कतहुँ मुदा सब ठामसँ आबू करू आन्दोलन रहब जँ मिथिला आनि कऽ मेटा रहल अछि पहचान देखिते भूगोलसँ अस्तित्व ई धरतीकेँ बचाउ माए जानि कऽ इतिहास मिथिलाकेँ दैत अछि गवाही कुन्दन ई भूमि छी विद्वानक सदति चलल सब मानि कऽ मात्राक्रम : 2212-2221-2122-211 © कुन्दन कुमार कर्ण

बाल गजल

बाल गजल

फूल पर बैस खेलै छै तितली डारि पर खूब कूदै छै तितली भोर आ साँझ नित दिन बारीमे गीत गाबैत आबै छै तितली लाल हरिअर अनेको रंगक सभ देखमे नीक लागै छै तितली पाँखि फहराक देखू जे उडि-उडि दूर हमरासँ भागै छै तितली नाचबै हमहुँ यौ कुन्दन भैया आब जेनाक नाचै छै तितली मात्रक्रम : 212-2122-222 © कुन्दन कुमार कर्ण

गजल

दुख केर मारल छी ककरा कहू केहन अभागल छी ककरा कहू हम आन आ अप्पनकेँ बीचमे सगरो उजारल छी ककरा कहू नै जीत सकलहुँ आगू नियतिकेँ जिनगीसँ हारल छी ककरा कहू बनि पैघ किछु नव करऽकेँ चाहमे दुनियाँसँ बारल छी ककरा कहू कुन्दन पुछू संघर्षक बात नै दिन राति जागल छी ककरा कहू मात्राक्रम : 221-222-2212 © कुन्दन कुमार कर्ण