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जून, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

विशेष

मुखपोथी (फेसबुक)पर लोकप्रिय भेल किछु शेर

'मैथिली शाइरी' जे कि सामाजिक सञ्जालक युगमे पछिला एक दशकसँ बहुक लोकप्रिय भेलै आओर दिनप्रति दिन एकर लोकप्रियतामे निरन्तर वृद्धि भऽ रहल छै । पाठक सभक प्रेमकें ध्यानमे रखैत शेर- ओ-शाइरीक एहि यात्रामे हम फेसबुक पर शेर सभ साझा करैत रहैत छी । सन् २०२५ मे एखन धरि प्रस्तुत भेल शेर निम्न प्रकार अछि । मैथिली गजल प्रेमी सभसँ निहोरा अछि जे  ई पढि  अपन प्रतिकृया देल जाय । फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसकुबपर देखबाक लेल क्लिक करू   फेसकुबपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू पढबाक लेल धन्यवाद ।

गजल

दर्दके सेहो ई दर्द दर्दनाक बुझाइ छै लोक छै किछु जकरा लेल सब मजाक बुझाइ छै एक छनमे बन्हन तोड़ि गेल बात बनाक ओ आब नाता हमरो सूतरीक टाक बुझाइ छै सोझके दुनियामे के पुछै समाज जहर बनल नैन्ह टा बच्चा आ बूढ़ सब चलाक बुझाइ छै धुंइया जोरक उठलै पड़ोसियाक दलानमे रचयिता एहन षड्यंत्र केर पाक बुझाइ छै मोंछ पर तेजी ओकीलबा घुमाक दएत छै कचहरीके मुद्दामे बढल तलाक बुझाइ छै 2122-2221-2121-1212 © कुन्दन कुमार कर्ण

गजल

जुआनीके पहिल उत्सव मनेलौं हम हियामे ओकरा जहिया बसेलौं हम सुरुआते गजब छल सोलहम बरिसक अचानक डेग यौवन दिस बढेलौं हम उचंगाके कमी नै टोलमे कोनो नजरि मिलिते इशारामे बजेलौं हम गवाही चान तारा छै पहिल मिलनक कलीके संग भमरा बनि फुलेलौं हम असानी छै कहाँ टिकनाइ नेही बनि समाजक रीतमे शोणित बहेलौं हम कलम कापी किताबक कोन बेगरता जखन इतिहासमे प्रेमी लिखेलौं हम चिरै सन मोन ई उड़िते रहल कुन्दन असम्भवपर किए असरा लगेलौं हम बहरे-हजज (1222×3) © कुन्दन कुमार कर्ण