'मैथिली शाइरी' जे कि सामाजिक सञ्जालक युगमे पछिला एक दशकसँ बहुक लोकप्रिय भेलै आओर दिनप्रति दिन एकर लोकप्रियतामे निरन्तर वृद्धि भऽ रहल छै । पाठक सभक प्रेमकें ध्यानमे रखैत शेर- ओ-शाइरीक एहि यात्रामे हम फेसबुक पर शेर सभ साझा करैत रहैत छी । सन् २०२५ मे एखन धरि प्रस्तुत भेल शेर निम्न प्रकार अछि । मैथिली गजल प्रेमी सभसँ निहोरा अछि जे ई पढि अपन प्रतिकृया देल जाय । फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसकुबपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसकुबपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू पढबाक लेल धन्यवाद ।
गद्य होस् या पद्य साहित्यका जुनसुकै शैली संग सम्बन्धित विधाहरूका आ-आफ्नै स्थापित अनुशासन, नियम र सिद्धान्त हुन्छन् । त्यसैले कुनै पनि विधामा कलम चलाउनुपूर्व ती विधाका अनुशासन, नियम र सिद्धान्तको बारेमा गहिरो अध्ययन गरी नियमित र सार्थक अभ्यास गर्नु अति आवश्यक हुन जान्छ । सामान्य पाठक वर्गलाई विधाका नियमहरूको वारेमा खासै चासो नहुन सक्छ । तर, कुनै खास विधामा गम्भीर चासो राख्ने पाठकहरूले भने रचनालाई कुनै निश्चित विधाको नाम दिईएको छ भने त्यो रचनामा साँच्चिकै ती विधाको नियम र सिद्धान्तलाई रचनाकारद्वारा पालना गरिएको छ वा छैन भनी सजिलै पहिचान गर्न सक्दछ । तसर्थः कुनै पनि रचनाकारले कुनै निश्चित विधामा कलम चलाउँदछ भने त्यस विधाको अनुशासनको पालना गर्नु रचनाकारको परम कर्तव्य हुन जान्छ । यसबाट नै सम्बन्धित विधाको वास्तविक विकास हुन्छ । यो लेखमा हामी साहित्यको अत्यन्त लोकप्रिय, गम्भीर र कठिन अनुशासनको पालना गर्नुपर्ने विधा 'गजल'को वारेमा चर्चा परिचर्चा गर्छौं । जसमा मुख्यतः नेपालको मैथिली भाषाका प्रसिद्ध साहित्यकार र कान्तिपुर एफ.एम.बाट दुई दशक भन्दा बढी अवधि देखि प्रसारणरत मैथिली भाषाको ल...