सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

दिसंबर, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

विशेष

गजल: लगाबऽ दाउ पर पड़ै परान बन्धु

लगाबऽ दाउ पर पड़ै परान बन्धु मनुष बनै तखन सफल महान बन्धु बड़ी कठिनसँ फूल बागमे खिलै छै गुलाब सन बनब कहाँ असान बन्धु जबाब ओकरासँ आइ धरि मिलल नै नयन सवाल केने छल उठान बन्धु हजार साल बीत गेल मौनतामे पढ़ब की आब बाइबल कुरान बन्धु लहास केर ढेरपर के ठाढ़ नै छै कते करब शरीर पर गुमान बन्धु 1212-1212-1212-2 © कुन्दन कुमार कर्ण

गजल - दर्दसँ भरल गजल छी हम

दर्दसँ भरल गजल छी हम शोकसँ सजल महल छी हम सुख केर आशमे बैसल दुखमे खिलल कमल छी हम भितरी उदास रहितो बस बाहरसँ बनि हजल छी हम जिनगी कऽ बाटपर सदिखन सहि चोट नित चलल छी हम कुन्दन सुना रहल अछि ई संघर्षमे अटल छी हम मात्रा क्रम : 2212-1222 © कुन्दन कुमार कर्ण

माहिया

रुबाई

बात मोनक अहांसँ कहि रहल छी हम दर्द जे देलौं से सहि रहल छी हम हँसैत रहै छी हियापर राखि पत्थर विरहक संग असगर रहि रहल छी हम