रंग विरंगक भास छलै गीत गबैत परात रहै भोर कहै शुभभोर सदा बड्ड मजा छल बड्ड मजा आब दलानक शान कहाँ बूढ़ पुरानक गान वला इन्टरनेटक शासनमे संस्कृति खातिर सोचत के छन्द : सारवती (ऽ।। ऽ।। ऽ।। ऽ) Kundan Kumar Karna
बहराउ यौ मैथिल घरसँ मोनमे ई ठानि कऽ लेबे करब मिथिला राज्य आब छाती तानि कऽ हे वीर मैथिल देखाक वीरता अभिमानसँ आजाद मिथिलाकेँ लेल सब लडू समधानि कऽ हो गाम या शहर छी कतहुँ मुदा सब ठामसँ आबू करू आन्दोलन रहब जँ मिथिला आनि कऽ मेटा रहल अछि पहचान देखिते भूगोलसँ अस्तित्व ई धरतीकेँ बचाउ माए जानि कऽ इतिहास मिथिलाकेँ दैत अछि गवाही कुन्दन ई भूमि छी विद्वानक सदति चलल सब मानि कऽ मात्राक्रम : 2212-2221-2122-211 © कुन्दन कुमार कर्ण