जदी छौ मोन भेटबाक डेग उठा चलि या हियामे चोट आ बदनमे आगि लगा चलि या छियै हम ठाढ़ एहि पार सात समुन्दरकें हियामे प्रेम छौ त आइ पानि सुखा चलि या जरै हमरासँ लोकवेद हार हमर देखि भने हमरा हराक सभकें फेर जरा चलि या बरेरी पर भऽ ठाड़ हम अजान करब प्रेमक समाजक डर जँ तोरा छौ त सभसँ नुका चलि या जमाना बूझि गेल छै बताह छियै हमहीं समझ देखा कनी अपन सिनेह बचा चलि या 1222-1212-12112-22 © कुन्दन कुमार कर्ण
आइ बदरीमे नजरि एलै तस्वीर तोहर चानकें सेहो अखड़ि गेलै तस्वीर तोहर तोरे दर्शन लेल पृथ्वीपर परि आबि गेलै इन्द्रलोकोमे असरि भेलै तस्वीर तोहर चेहरा ककरो मिलल नै तोरा चेहरा सन तइयो दुनियाँ भरि नजरि एलै तस्वीर तोहर शंका हेतै शुद्धतापर केओ केने शाइद बीच गंगामे उतरि हेलै तस्वीर तोहर बरखा ठनका ठण्डी गर्मी गगनोमे की–की नै चोट मौसमकें कुहरि झेलै तस्वीर तोहर ऽ।ऽऽ ऽ।ऽऽ ऽऽऽ। ऽऽ © कुन्दन कुमार कर्ण Maithili Ghazal