जदी छौ मोन भेटबाक डेग उठा चलि या हियामे चोट आ बदनमे आगि लगा चलि या छियै हम ठाढ़ एहि पार सात समुन्दरकें हियामे प्रेम छौ त आइ पानि सुखा चलि या जरै हमरासँ लोकवेद हार हमर देखि भने हमरा हराक सभकें फेर जरा चलि या बरेरी पर भऽ ठाड़ हम अजान करब प्रेमक समाजक डर जँ तोरा छौ त सभसँ नुका चलि या जमाना बूझि गेल छै बताह छियै हमहीं समझ देखा कनी अपन सिनेह बचा चलि या 1222-1212-12112-22 © कुन्दन कुमार कर्ण
हे जया जगदम्बा जगतारिणी कि जय हो भगवती कल्याणी भयनाशिनी कि जय हो कष्ट मोचक कामाक्षी जग सुखस्वरुपा दुर्गपारा देवी दुखहारिनी कि जय हो सिंहपर अासित मैया मातृका भवानी कामिनी व्रह्मा वरदायिनी कि जय हो इन्द्र दुखमे पुजलक परमेश्वरी अहींके देव रक्षक अजिता कात्यायिनी कि जय हो नाम जपलापर भक्तक मृत्यु जाइ छै टरि शैलपुत्री कालक संहारिनी कि जय हो रहि हृदयमे कुन्दनपर नित करब करुणा प्रार्थना अछि र्इ पशुपति भामिनी कि जय हो 212-222-2212-122 © कुन्दन कुमार कर्ण