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गजल: लगाबऽ दाउ पर पड़ै परान बन्धु

लगाबऽ दाउ पर पड़ै परान बन्धु मनुष बनै तखन सफल महान बन्धु बड़ी कठिनसँ फूल बागमे खिलै छै गुलाब सन बनब कहाँ असान बन्धु जबाब ओकरासँ आइ धरि मिलल नै नयन सवाल केने छल उठान बन्धु हजार साल बीत गेल मौनतामे पढ़ब की आब बाइबल कुरान बन्धु लहास केर ढेरपर के ठाढ़ नै छै कते करब शरीर पर गुमान बन्धु 1212-1212-1212-2 © कुन्दन कुमार कर्ण

रेडियो नेपालक कार्यक्रम 'मधुरिमा'मे मैथिली गजल प्रस्तुति

गजल

अस्तित्वमे अस्तित्व समा जेतै एक दिन अपनाक अपने संग मिला जेतै एक दिन बिनु शब्द आ संगीत मिलनके बेर प्रकृति शुन्ना समयमे गीत सुना जेतै एक दिन नै हम रहब नै देह रहत रहतै बोध टा दुख दर्द सब जिनगीक परा जेतै एक दिन मस्तिष्कके सुख दुखसँ उपर लेबै जे उठा आनन्दमे र्इ मोन डुबा जेतै एक दिन बहिते हृदयमे जोरसँ कुन्दन नेहक हवा चैतन्य केर ज्ञात करा जेतै एक दिन 2212-221-1222-212 © कुन्दन कुमार कर्ण