रंग विरंगक भास छलै गीत गबैत परात रहै भोर कहै शुभभोर सदा बड्ड मजा छल बड्ड मजा आब दलानक शान कहाँ बूढ़ पुरानक गान वला इन्टरनेटक शासनमे संस्कृति खातिर सोचत के छन्द : सारवती (ऽ।। ऽ।। ऽ।। ऽ) Kundan Kumar Karna
जिनगी एक वरदान छी दैवक देलहा दान छी राखू सोच मोनक सही जिनगी पैघ सम्मान छी कर्मक बाटपर नित चलू कर्में पूर्ण पहचान छी बुझि संघर्ष जियबै जखन जिनगी शान अभिमान छी कुन्दन बुझि चलल बात ई जिनगी दू दिनक चान छी 2221+2212 बहरे – मुक्तजिब © कुन्दन कुमार कर्ण www.facebook.com/kundan.karna