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विशेष

गजल: लगाबऽ दाउ पर पड़ै परान बन्धु

लगाबऽ दाउ पर पड़ै परान बन्धु मनुष बनै तखन सफल महान बन्धु बड़ी कठिनसँ फूल बागमे खिलै छै गुलाब सन बनब कहाँ असान बन्धु जबाब ओकरासँ आइ धरि मिलल नै नयन सवाल केने छल उठान बन्धु हजार साल बीत गेल मौनतामे पढ़ब की आब बाइबल कुरान बन्धु लहास केर ढेरपर के ठाढ़ नै छै कते करब शरीर पर गुमान बन्धु 1212-1212-1212-2 © कुन्दन कुमार कर्ण

मैथिली साहित्यिक गोष्ठी

काठमाण्डू, ०७ नोभेम्बर, २०१५  "वर्तमान राजनीतिक सन्दर्भ आ मैथिलीक भविष्य" विषय पर प्राज्ञ रमेश रञ्जन झा जीक अध्यक्षता आ प्रा.डा. राम अवतार यादव जीक प्रमुख आतिथ्यमे बालुवाटार, काठमाण्डूमे मैथिली साहित्यिक गोष्ठी सम्पन्न भेल अछि । कार्यक्रममे साहित्यकार धीरेन्द्र प्रेमर्षि मन्तव्य व्यक्त करैत कहलनि जे राज्य मैथिलीप्रति सदति पूर्वाग्रही रहल अछि । तहिना प्रा.डा. राम अवतार यादव कहलनि जे मैथिली संकट अवस्थामे रहितो जीवित अछि । मैथिलीकेँ लेल कतेक काज केलहुँ से महत्वपूर्ण नै, काजक स्तरीयता महत्वपूर्ण हए छै । कार्यक्रममे रूपा झा, विजय दत्त, विनीत ठाकुर, श्याम शेखर झा लगायतकेँ सर्जक सभ अपन रचना प्रस्तुत केने छल । कार्यक्रमक ब्यवस्थापन निराजन झा एवं संचालन आ आयोजन कुन्दन कुमार कर्ण केने छल । कार्यक्रमक सम्पूर्ण विवरण तस्वीरमे

शराब पर गजल

पचासम् गजल (शराब पर गजल)

तोहर याद नै आबै तँइ पी लए छी हम जिनगी आब दारुमे डुबि जी लए छी हम मतलब कोन छै हमरा दुनियासँ तोरा बिनु अपनेमे मगन रहि ककरो की लए छी हम दर्दक अन्हरीयामे पिअबाक मानक नै कहियो काल कम कहियो बेसी लए छी हम छै अलगे मजा स्वर्गक चुमनाइमे बोतल तोहर ठोर बुझि नित चुमि सजनी लए छी हम मजबूरी कहू या हिस्सक या नियत कुन्दन बस दुनियाक आगू बनि नेही लए छी हम मात्राक्रम : 2221-222-22-1222 © कुन्दन कुमार कर्ण

गजल (रक्षा बन्धन विशेष)

फरिछाक देखू सभटा नाताक बिस्तारमे निःस्वार्थ भेटत भाई बहिनेक संसारमे कतबो करत अपनामे झगड़ा लड़ाई मुदा छल नै रहत कनियो ककरो डांट फटकारमे अनमोल बन्धन थिक ई एहन सिनेहक अटल पाएत नै केओ भगवानोक दरवारमे राखीक धागा छी बहिनक आश विश्वास यौ आशीष पाबै छै भाई जैसँ उपहारमे ईवर दए हमरा कुन्दन सभ जनममे बहिन जिनगी बितै नै कहियो बिनु नेह अन्हारमे मात्राक्रम : 221-222-2221-2212 © कुन्दन कुमार कर्ण

रक्षा बन्धन गजल

गजल

कली त खिलल मुदा फुला नै सकल हृदयसँ गुलाब बनि लगा नै सकल वसंत बहार सन पहर छल मुदा सिनेहसँ बाग ओ सजा नै सकल कथीक कमी छलै हमर नेहमे खुशीसँ किएक ओ बता नै सकल बताह बनाक छोडि हमरा चलल पियास हियाक ओ बुझा नै सकल नसीब हमर खराब कुन्दन छलै हिया त मिलल अपन बना नै सकल मात्राक्रम : 12112-1212-212 © कुन्दन कुमार कर्ण

गजल

जहिना दीपमे तेल जरूरी हए छै तहिना नेहमे मेल जरूरी हए छै जितबा लेल जिनगीक जुआमे मनुषकेँ अपने किस्मतक खेल जरूरी हए छै नेहक बाटपर जाइ बड़ी दूर तेहन विश्वासक चलब रेल जरूरी हए छै हितमे काज केनाइ समाजक असलमे लोकप्रिय बनै लेल जरूरी हए छै बिनु संघर्ष जिनगीक मजा कोन कुन्दन कहियो काल किछु झेल जरूरी हए छै मात्राक्रम : 2221-221-122-122 © कुन्दन कुमार कर्ण

गजल

करितै नेह जँ केओ अथाह हमरो रहितै मोन खुशीमे बताह हमरो नेही एक बनी हमहुँ साँच ककरो अछि जिनगीक रहल आब चाह हमरो बनि घटवाह निमन भेट जाइ संगी हेतै पार सफलताक नाह हमरो कविता गीत गजल आ अवाज सुनिते कहितै लोक जखन वाह वाह हमरो मिलिते आइ नजरि ओकरासँ कुन्दन मोने मोन भऽ गेलै निकाह हमरो मात्राक्रम : 2221-122-121-22 © कुन्दन कुमार कर्ण

गजल

ओकर यादक आइ फेरो विर्रो उठल हियामे उडिया गेलौं हम बिहारि प्रेमक बहल हियामे जादू मौसमकेँ असर केलक मोन पर हमर जे आस्ते–आस्ते दर्द मिठगर नेहक बढल हियामे अन्चोकेमे चान दिस ई चंचल नजरि कि गेलै छल पूनमकेँ राति सूरत ओकर सजल हियामे जा धरि ठठरी ठार रहतै मरिते रहब अहाँपर खाइत शप्पत हम कहै छी प्रिय ई गजल हियामे मोनक सेहन्ता हमर छल ललका गुलाब कुन्दन ककरा सभ किछु भेटलै ऐठाँ जे रहल हियामे मात्राक्रम : 2222-2122-2212-122 © कुन्दन कुमार कर्ण

गजल

साँच नेह कहियो धोखा नै दए छै मोनमे बिछोड़क फोंका नै दए छै एक बेर जे बुझियौ छुटि गेल संगी बेर-बेर किस्मत मौका नै दए छै देखियोक लगमे अन्ठा देत सदिखन एक छुटलहा हिय टोका नै दए छै त्याग साधना आ नित चाही तपस्या साँच नेह ईश्वर ओना नै दए छै दोहराक कुन्दन नेहक बात नै कर साँझमे पराती शोभा नै दए छै मात्राक्रम : 212-122-222-122 © कुन्दन कुमार कर्ण

सुनू मेट्रो एफ.एम.सँ प्रसारित हमर अन्तरवार्ताक सम्पूर्ण अंश

अन्तरवार्ता - मेट्रो एफ.एम. 94.6 मेगाहर्ज पर

दिनांक 28.05.2015 : काठमाण्डू महानगर पालिका द्वारा संचालित आ राष्ट्रिय सभागृहसँ प्रसारणरत मेट्रो एफ.एम. 94.6 मेगाहर्ज पर कार्यक्रम मिथिलाञ्चलमे कार्यक्रम संचालक सरोज खिलाडी द्वारा कएल गेल मैथिली गजल आ साहित्य सम्बन्धि प्रत्यक्ष साक्षात्कार कालमे लेल गेल र्इ तस्वीर ।

गजल (भू-कम्पक सन्दर्भमे)

घर छोडि डरमे जी रहल छी एहन शहरमे जी रहल छी दिन राति छी काटैत एना जेना कहरमे जी रहल छी संसार अपनेमे मगन छै  भगवान भरमे जी रहल छी प्रकृतिसँ हारल अछि परिस्थिति कालक असरमे जी रहल छी मजबूर छी जिनगीसँ कुन्दन तँइ एसगरमे जी रहल छी मात्राक्रम : 221-222-122 © कुन्दन कुमार कर्ण

गजल (भू–कम्पक सन्दर्भमे)

सम्पूर्ण भूकम्प पीड़ित आ एहि कारणे अपना सभक बीचसँ गुजरलप्रति श्रद्धाञ्लीस्वरूप समर्पित ई गजल जै ठाँ छल काइल नित जिनगीक मुस्कान तै ठाँ बस नोरक रहि गेलै किए स्थान हे ईश्वर ई केहन खेल प्रकृति केर लोकक घर जेना अछि बनि गेल शमसान गजलक अक्षर-अक्षर कानैत अछि आब कहि धरती कोना यौ बनि गेल बइमान कहियो सुन्नरता जै देशक रहल शान छन भरिमे सभ ओ मेटा गेल पहचान आशा मोनक कुन्दन अछि जीविते मोर उगबे करतै जिनगीमे एक दिन चान मात्राक्रम : 222-222-221-221 © कुन्दन कुमार कर्ण

फेसबुक अवगत - वैचारिक बहस

गजल

अहाँ बिनु नै जी सकब हम अलग रहि करि की सकब हम बिछोड़क ई नोर नैनक बहल कोना पी सकब हम जरल मोनक वेदना ये कते सहि सजनी सकब हम मिलत जे प्रेमक सुईया हिया फाटल सी सकब हम विरहमे नित आब कुन्दन बिता नै जिनगी सकब हम बहरे-मजरिअ (1222-2122) © कुन्दन कुमार कर्ण

तस्वीर - हम धीरेन्द्र प्रेमर्षि जीक संग

Kundan Kumar Karna with Dhirendra Premarshi

फेसबुक अवगत - मैथिली सिने संसारमे प्रकाशित अन्तर्वार्ता पर आएल फेसबुक प्रतिकृया

मैथिली सिने संसार पत्रिकाक अगहन/पुष अंकमे प्रकाशित हमर मैथिली गजल विशेष अन्तरवार्ता पर फेसबुक मार्फत प्राप्त किछु महत्वपूर्ण प्रतिकृया :

गजल (होरी/होली विशेष)

Holi Ghazal by Kundan Kumar Karna

गजल (होरी/होली विशेष)

खुशीक अनेक रंग सब पर बरसै हँसीक इजोर संग जिनगी चमकै अबीर गुलाल बीच फगुआ शोभै गुलाब समान देह गम-गम गमकै उमंग हियासँ नै घटै कहियो धरि बसन्त बहार अंगना घर टहलै मिलान जुलान केर पावनि थिक ई दरेग दयाक चाहमे सब बहकै विरान जकाँ रहब हमहुँ नै कुन्दन हमर जँ सिनेह लेल केओ तरसै मात्राक्रम : 121-121-2122-22 © कुन्दन कुमार कर्ण

हम

Kundan Kumar Karna

सम्मान - मैथिली सिने संसारद्वरा कएल गेल सम्मान

मैथिली सिने संसार पत्रिकाक तेसर वार्षिकोत्सव आ अन्तराष्ट्रिय मातृ भाषा दिवसक अवसर पर मधेस मिडिया हाउस, काठमाण्डूमे आयोजित समारोहमे मैथिली गजलमे हमर योगदानक कदरस्वरूप नेपाली फिल्मक बरिष्ट कलाकार नीर शाह द्वारा मैथिली सिने संसार दिससँ प्रदान कयल गेल सम्मान ग्रहण करैत

गजल

चाहलौँ जकरा हम जान परानसँ छोड़ि हमरा से चलि गेल गुमानसँ जे कहै जिनगी भरि संग रहब हम से करेजा देलक चीर असानसँ एखनो टटका अछि दर्द हियामे व्यक्त कोना शब्दक करब बखानसँ हम त पुजलौँ प्रेमक बनि कऽ पुजगरी सत धरम पूरा निस्वार्थ इमानसँ जीविते बनि गेलौँ लास जकाँ हम हम त गेलौँ कुन्दन एहि जहानसँ मात्राक्रम : 2122-2221-122 © कुन्दन कुमार कर्ण

अन्तरवार्ता - मैथिली सिने संसार पत्रिकाक अगहन–पुष अंकमे प्रकाशित अन्तरवार्ता

प्रस्तुत अछि लोकप्रिय पत्रिका  मैथिली सिने संसारक अगहन–पुष अंकमे प्रकाशित हमर पूरा अन्तरवार्ता सप्तरी जिल्लाक एक साधारण परिवारमे जन्मल गजलकार कून्दन कुमार कर्ण कम समयमे बेसी चर्चित भेनिहार युवा गजलकार छी । कनिये टासँ मैथिली साहित्यमे कमल चला रहल कुन्दन अत्यन्त प्रतिभाशाली व्यक्ति छथि । श्री जनता माध्यमिक विद्यालय, खुरहुरीयासँ विद्यालय शिक्षा आर्जन कऽ श्री महेन्दविन्देश्वरी बहुमुखी क्याम्पस, राजविराजसँ ब्यवस्थापनमे स्नातक केनिहार ई नेपाल सरकारक निजामती सेवामे सेहो कार्यरत छथि । विद्यालय जीवन कालसँ गजल रचना सुरु कऽ एखन धरि दर्जनौ गजल रचना कऽ चूकल अछि । हुनकर गजल आ शाइरीसँ मिथिलाक हजारौ युवा प्रभावित छथि । पछिला किछु बरिससँ सामाजिक सञ्जालमे बेसी सकृयताक संग अपन रचना सभ सार्वजनिक करैत आबि रहल हुनकर नेपाल आ भारत दुन्नू देशेमे प्रशंसक सभ छथि । मुदा हनुका एतऽ धरि आबैमे की ? केहन ? कतेक ? संघर्ष करऽ पडलै एहि सम्बन्धमे सुनी “मैथिली सिने संसार”क प्रतिनिधि कमल मण्डल संग भेल हुनकर गप्प सप्प । ▶ अहाँ गजल रचनाक क्षेत्रमे कोना प्रवेश केलहुँ ? – कनिये टासँ साहित्य, गीत आ संगीतमे हमर र...

प्रेम दिवस विशेष पोष्ट कार्ड

Valentine Special Post Cards in Maithili Valentine Special Post Cards in Maithili Valentine Special Post Cards in Maithili Valentine Special Post Cards in Maithili Valentine Special Post Cards in Maithili Valentine Special Post Cards in Maithili Valentine Special Post Cards in Maithili Valentine Special Post Cards in Maithili Valentine Special Post Cards in Maithili Valentine Special Post Cards in Maithili

कविता - जवानी

Short Poem - Jawaani By : Kundan Kumar Karna

गजल

आब सहब नै दाबन ककरो जोर जुलुम आ चापन ककरो गेल जमाना क्रूरक सभकेँ घर त हमर छल आसन ककरो भेल बहुत जे भेलै काइल लोक सुनै बस भाषण ककरो पूत मधेसक छी अभिमानी सहि कऽ रहब नै शोषण ककरो दर्द विभेदक भारी कुन्दन माथ हमर अछि चानन ककरो मात्राक्रम : 2112-222-22 © कुन्दन कुमार कर्ण

भक्ति गजल (सरस्वती वन्दना)

Saraswati Pooja

भक्ति गजल (सरस्वती वन्दना)

हे शारदे दिअ एहन वरदान हो जैसँ जिनगी हमरो कल्याण पूजब सदति हे माए बनि पूत अपना शरणमे दिअ हमरा स्थान निष्काम हो मोनक सभ टा आश सुख शान्ति आ जगमे दिअ सम्मान जिनगी समाजक लागै शोकाज हमरा बना दिअ तेहन गुणवान लिअ प्रार्थना कुन्दनकेँ स्वीकारि बल वुद्धि विद्या आ दिअ ने ज्ञान मात्राक्रम : 2212-222-221 © कुन्दन कुमार कर्ण

गजल

तोरा आदर कि केलियौ तूँ त हमरा सस्ता बुझि लेलही बस अपनाकेँ गुलाब हमरा सुखल सन पत्ता बुझि लेलही मोनक कुर्सी कि देलियौ बैस तोरा एके छन लेल हम हमरे जिनगीक तूँ अपन राजनीतिक सत्ता बुझि लेलही गजलक गंभीरता मधुरता असलमे तोरा की मालूम हमरा शाइर त बात दूरक अपन तूँ भगता बुझि लेलही शारीरिक हाउ भाउ तोहर बुझाइत रहलहुँ एना सदति जेना नेहक रहै पहिल बेर हमरे खगता बुझि लेलही नै छै जै मोनमे रहल चाह नेहक कोनो कुन्दन हमर तै मोनसँ हम किएक जोडब अधूरा नाता बुझि लेलही मात्राक्रम : 22221-212-2122-222-212 © कुन्दन कुमार कर्ण

हम

Kundan Kumar Karna

गजल

साँचमे शायद ओ नै चाहैत रहै मोन झुठ्ठे सदिखन पतिआबैत रहै फुलि हमर आगू ओ सुन्नर फूल जकाँ बाग पाछू अनकर गमकाबैत रहै हम हियामे बैसेलहुँ बुझि नेह अपन तेँ सदति हमरा ओ तड़पाबैत रहै साँच नेहक दुनियामे अछि मोल कहाँ लोक जैमे जिनगी बीताबैत रहै जाइ छल मन्दिर नित कुन्दन संग मुदा प्राथनामे दोसरकेँ माँगैत रहै मात्राक्रम : 212-222-2221-12 © कुन्दन कुमार कर्ण