सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अप्रैल, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

विशेष

गजल: लगाबऽ दाउ पर पड़ै परान बन्धु

लगाबऽ दाउ पर पड़ै परान बन्धु मनुष बनै तखन सफल महान बन्धु बड़ी कठिनसँ फूल बागमे खिलै छै गुलाब सन बनब कहाँ असान बन्धु जबाब ओकरासँ आइ धरि मिलल नै नयन सवाल केने छल उठान बन्धु हजार साल बीत गेल मौनतामे पढ़ब की आब बाइबल कुरान बन्धु लहास केर ढेरपर के ठाढ़ नै छै कते करब शरीर पर गुमान बन्धु 1212-1212-1212-2 © कुन्दन कुमार कर्ण

गजल: ओ दर्द देलकै मुदा कनियों इलाज नै देलक

ओ दर्द देलकै मुदा कनियों इलाज नै देलक पद पैसा आ प्रतिष्ठा कतौ आइ काज नै देलक कहबाक लेल लोक बहुत छै उदार बस्तीमे तड़पैत रहलियै मुदा केओ अवाज नै देलक छै शिक्षा स्वास्थ्य कृषिसँ विमुख सरकार सीमेन्टकें शहर त बनेलक समाज नै‌ देलक हमरासँ लैत गेल अपन बूझि दैत गेलौं हम ओ मूर देत की जे सुपतकें बियाज नै देलक कत-कतसँ शब्द खोजि अनेकौ गजल सजेलौं हम संगीत केर आश‌ जकर सेहो साज नै देलक मात्राक्रम: 2212-12112-2121-222 © कुन्दन कुमार कर्ण कुन्दन कुमार कर्ण