'मैथिली शाइरी' जे कि सामाजिक सञ्जालक युगमे पछिला एक दशकसँ बहुक लोकप्रिय भेलै आओर दिनप्रति दिन एकर लोकप्रियतामे निरन्तर वृद्धि भऽ रहल छै । पाठक सभक प्रेमकें ध्यानमे रखैत शेर- ओ-शाइरीक एहि यात्रामे हम फेसबुक पर शेर सभ साझा करैत रहैत छी । सन् २०२५ मे एखन धरि प्रस्तुत भेल शेर निम्न प्रकार अछि । मैथिली गजल प्रेमी सभसँ निहोरा अछि जे ई पढि अपन प्रतिकृया देल जाय । फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसकुबपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसकुबपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू पढबाक लेल धन्यवाद ।
जागू जागू सब मैथिल नारी जानकी जकाँ बनू महान्
दोसरकेँ संस्कृति नक्कल नै कऽ अपनकेँ राखू मान
अपनो जागू आ सबकेँ जगाउ सुतू नै पीबि कऽ लाजक तारी
घोघ तरसँ बाहर निकलू, बनू एक होसियार मैथिल नारी
बिन बाजने अधिकार नै भेटत नै भेटत कतो कोनो सम्मान
जागू जागू सब मैथिल नारी जानकी जकाँ बनू महान्
बदरी तरकेँ चानसँ नीक स्वतन्त्र दीपकेँ ज्योति बनू
कतेक दिन रहबै अन्हारमे बुद्धिकेँ ताला जल्दी खोलू
बचाउ सोहर समदाओन नै हेरा दियौ लोक गीत
कतो रहू संस्कार नै छोडू तखने हएत मिथिलाकेँ हित
मैथिली लीखू, मैथिली बाजू बढाउ मिथिलाकेँ शान
जागू जागू सब मैथिल नारी जानकी जकाँ बनू महान्
रंग बिरंगी अरिपणसँ मिथिलाकेँ ई धरती सजाउ
दुनियाँ भरिमे मैथिल नारीकेँ अदभूत कला देखाउ
खाली चुल्हा चौकी केनाइ मात्र नै बुझू अपन काम
डेग-डेग पर संघर्ष करु तखने अमर हएत नाम
समय पर नै जागब त किछु नै एत भेटत असान
जागू जागू सब मैथिल नारी जानकी जकाँ बनू महान्
पवित्र कर्मसँ जानकी बनल अछि मिथिलाक विभुति
जँ हुनके बाटपर चलबै तऽ नै आएत कोनो विपति
हुनके जकाँ कर्म कऽ मिथिलामे चेतना कऽ दीप जराउ
चेतनशील भऽ मिथिलामे शिक्षाकेँ ज्योति फैलाउ
मैथलि नारी भेलापर अपना पर फूलि कऽ करु गुमान
जागू जागू सब मैथिल नारी जानकी जकाँ बनू महान्
आरक्षण खोजैसँ नीक खोजू सम्पूर्ण अधिकार
मैथिल नारीकें शोषक सबकेँ जोडसँ करु प्रतिकार
प्रतिकार कए दुनियाँमे मैथिल नारीकेँ शक्ति देखाउ
प्रगति करि सब क्षेत्रमे मिथिलाप्रति भक्ति जगाउ
शिक्षामे आगा बढू नै सहू कतो ककरो अपमान
जागू जागू सब मैथिल नारी, जानकी जकाँ बनू महान्
भगाउ मिथिलासँ अचेतना अशिक्षा आ अज्ञानता
दुनियाँ भरिमे देखाउ मैथिल नारीकेँ महानता
मांगि कऽ केओ नै दैत छीन कऽ लिअ अधिकार
पुरुष उप्पर आश्रित नै भऽ अपने बनाउ अपन संसार
अपन संसार अपने बना कऽ चढू सफलताकेँ विमान
जागू जागू सब मैथिल नारी जानकी जकाँ बनू महान्
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें