सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अप्रैल, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

विशेष

गजल: लगाबऽ दाउ पर पड़ै परान बन्धु

लगाबऽ दाउ पर पड़ै परान बन्धु मनुष बनै तखन सफल महान बन्धु बड़ी कठिनसँ फूल बागमे खिलै छै गुलाब सन बनब कहाँ असान बन्धु जबाब ओकरासँ आइ धरि मिलल नै नयन सवाल केने छल उठान बन्धु हजार साल बीत गेल मौनतामे पढ़ब की आब बाइबल कुरान बन्धु लहास केर ढेरपर के ठाढ़ नै छै कते करब शरीर पर गुमान बन्धु 1212-1212-1212-2 © कुन्दन कुमार कर्ण

गजल - ओ एलै बहार एलै

ओ एलै बहार एलै सुनि मोनक पुकार एलै गेलै मोन भरि उमंगसँ नेहक जे हँकार एलै हुनकर आगमनसँ हियमे प्रीतक रस अपार एलै दुनियाँ नीक लाग लगलै जिनगीकेँ किनार एलै सपना भेल एक पूरा सुखकेँ दिन हजार एलै मात्राक्रम : 2221-2122 © कुन्दन कुमार कर्ण

गजल - बादलमे नुका जाइ छैक चान किए

बादलमे नुका जाइ छैक चान किए अप्पन एतऽ बनि जाइ छैक आन किए करबै नेह जे केकरो अपार हियसँ तकरो बाद घटि जाइ छैक मान किए राखब बात जे दाबि मोनकेँ कहुना सभकेँ लागिये जाइ छैक भान किए चाहब जे रही खुश सदति हँसैत मुदा ई फुसि केर बनि जाइ छैक शान किए कुन्दन कल्पनामे गजल कहैत चलल सभ बुझि लेलकै प्रीत केर गान किए मात्राक्रम: 2221-2212-12112 ©कुन्दन कुमार कर्ण