-
गजल
Saturday, August 22, 2020
मोन तोहर तूँ गारि दे चाहे या मारि देशर्त एके टा छै हिया हमरासँ हारि देलोक प्रेमी शायर पिअक्कड आदमी बुझैहम असलमे की आब तोंही मोन पारि देचोरचनकें छै राति ताकै सब अकाशमेहम हृदयमे तकबै हृदय बनि तूँ निहारि देरोपि तुलसी छै गेल तोरे नामकें जखनआबि सारा पर एक लोटा पानि ढारि देप्रेम कहियो नै एकतर्फी भेल बूझि लेआगि अपनो तूँ ले लगा हमरो पजारि दे2122-2212-2212-12© कुन्दन कुमार कर्णLabels: गजल | 1 comments |
| Email This BlogThis! Share to Twitter Share to Facebook |Reactions:
-
Friday, August 7, 2020
0 comments |
| Email This BlogThis! Share to Twitter Share to Facebook |Reactions:
-
Wednesday, August 5, 2020
Labels: तस्वीर संग्रह | 0 comments |
| Email This BlogThis! Share to Twitter Share to Facebook |Reactions:
-
दुन्नू आँखि मूनि बाजै छह अन्हार छैअपने चालि ठीक नै गलते संसार छैबेगरता बहुत सकरता नुनक नै छलैसत्ता पाबिते बनल धनकें पैकार छैपैसा जाति धर्ममे जनते बंटल मुदाभ्रष्टाचार लेल बस दोषी सरकार छैधरतीयोक धीर टुटलै लीला देखितेउब्जाबै वला दुबर बेचै बौकार छैसम्हरि नै रहल महामारी दुनियाँ बुतेअसरा आब गामकें बाबा डिहबार छै2221-2122-2221-2© कुन्दन कुमार कर्ण
Labels: गजल | 0 comments |
| Email This BlogThis! Share to Twitter Share to Facebook |Reactions: