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दिसंबर, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

विशेष

मुखपोथी (फेसबुक)पर लोकप्रिय भेल किछु शेर

'मैथिली शाइरी' जे कि सामाजिक सञ्जालक युगमे पछिला एक दशकसँ बहुक लोकप्रिय भेलै आओर दिनप्रति दिन एकर लोकप्रियतामे निरन्तर वृद्धि भऽ रहल छै । पाठक सभक प्रेमकें ध्यानमे रखैत शेर- ओ-शाइरीक एहि यात्रामे हम फेसबुक पर शेर सभ साझा करैत रहैत छी । सन् २०२५ मे एखन धरि प्रस्तुत भेल शेर निम्न प्रकार अछि । मैथिली गजल प्रेमी सभसँ निहोरा अछि जे  ई पढि  अपन प्रतिकृया देल जाय । फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसकुबपर देखबाक लेल क्लिक करू   फेसकुबपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू फेसबुकपर देखबाक लेल क्लिक करू पढबाक लेल धन्यवाद ।

कविता : पराती

रंग विरंगक भास छलै गीत गबैत परात रहै भोर कहै शुभभोर सदा बड्ड मजा छल बड्ड मजा आब दलानक शान कहाँ बूढ़ पुरानक गान‌ वला इन्टरनेटक शासनमे संस्कृति खातिर सोचत के छन्द : सारवती (ऽ।। ऽ।। ऽ।। ऽ) Kundan Kumar Karna

सांकेतिक भाषामे गजल (Ghazal in Sign Language))

प्रस्तुत अछि न्यून श्रवणशक्ति एवम् श्रवणविहिन व्यक्ति सभ धरि गजल पहुँचेबाक उद्देशयसँ सम्भवत पहिल बेर प्रयोगक रूपमे कुन्दन कुमार कर्णक कहल एक नेपाली गजलक मतला आ एक टा शेर सांकेतिक भाषामे । जकरा प्रस्तुत केने छथि 'राष्ट्रिय सांकेतिक भाषा दोभाषे संघ', नेपालक महासचिव सन्तोषी घिमिरे । आबैवला दिनमे किछु मैथिली गजल सेहो सांकेतिक भाषामे परसबाक प्रयास रहत । सांकेतिक भाषामे गजल कहैत सन्तोषी घिमिरे संतोषी घिमिरेक संग कुन्दन कुमार कर्ण