धधरा नेहक हियामें धधकैत रहि गेलै
बनि शोणित नोर आँखिसँ टपकैत रहि गेलै
सपना छल प्रेम करितै केओ अपन जानिक
सोचिक ई मोन सदिखन बहकैत रहि गेलै
बेगरता बुझि सकल केओ नै जरल मोनक
धरकन दिन राति जोरसँ धरकैत रहि गेलै
ऐबे करतै सजिक मोनक मीत जिनगीमें
सभ दिन ई आँखि खन–खन फरकैत रहि गेलै
दाबिक सभ बात मोनक कुन्दन जबरदस्ती
जगमें बनि फूल तखनो गमकैत रहि गेलै
मात्राक्रम : 2222-122-221-222
© कुन्दन कुमार कर्ण
बनि शोणित नोर आँखिसँ टपकैत रहि गेलै
सपना छल प्रेम करितै केओ अपन जानिक
सोचिक ई मोन सदिखन बहकैत रहि गेलै
बेगरता बुझि सकल केओ नै जरल मोनक
धरकन दिन राति जोरसँ धरकैत रहि गेलै
ऐबे करतै सजिक मोनक मीत जिनगीमें
सभ दिन ई आँखि खन–खन फरकैत रहि गेलै
दाबिक सभ बात मोनक कुन्दन जबरदस्ती
जगमें बनि फूल तखनो गमकैत रहि गेलै
मात्राक्रम : 2222-122-221-222
© कुन्दन कुमार कर्ण
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