प्रस्तुत कए रहल छी हम अपन पहिल हजल
पढू ! हँसू !! हँ, मुदा प्रतिकृया जरुर करब
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हजल
एक दिन कनियांसँ भेलै झगडा
मारलनि ठुनका कहब हम ककरा
ओ पकडलनि कान आ हम झोंट्टा
युद्ध चललै कारगिल सन खतरा
मारि लागल बेलनाकेँ एहन
फेक देलक आइ आँखिसँ धधरा
बाघ छी हम एखनो बाहरमे
की कहू ? घरमे बनल छी मकरा
एसगर कुन्दन सकत कोना यौ
ओ हजलकेँ बुझि लए छै फकरा
मात्राक्रम: 2122-2122-22
© कुन्दन कुमार कर्ण
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