मोन हए छै
अहाँकेँ जवानी
बैँकमे राखि दी
किएक त
हम बूढ भ' जेबै
तकर हमरा चिन्ता नै
मुदा
अहाँ जवाने रही
से हमर अभिलाषा अछि
बैँकमे राखि दी
किएक त
हम बूढ भ' जेबै
तकर हमरा चिन्ता नै
मुदा
अहाँ जवाने रही
से हमर अभिलाषा अछि
© कुन्दन कुमार कर्ण
“साहित्य व्यक्ति कऽ सभ्य आ गजल अनुशासित बनाबै छै ।”
Friday, November 28, 2014
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कविता
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