फूल पर बैस खेलै छै टिकली
डारि पर खूब कूदै छै टिकली
भोर आ साँझ नित दिन बारीमे
गीत गाबैत आबै छै टिकली
लाल हरिअर अनेको रंगक सभ
देखमे नीक लागै छै टिकली
पाँखि फहराक देखू जे उडि-उडि
दूर हमरासँ भागै छै टिकली
नाचबै हमहुँ यौ कुन्दन भैया
आब जेनाक नाचै छै टिकली
मात्रक्रम : 212-2122-222
© कुन्दन कुमार कर्ण
डारि पर खूब कूदै छै टिकली
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भोर आ साँझ नित दिन बारीमे
गीत गाबैत आबै छै टिकली
लाल हरिअर अनेको रंगक सभ
देखमे नीक लागै छै टिकली
पाँखि फहराक देखू जे उडि-उडि
दूर हमरासँ भागै छै टिकली
नाचबै हमहुँ यौ कुन्दन भैया
आब जेनाक नाचै छै टिकली
मात्रक्रम : 212-2122-222
© कुन्दन कुमार कर्ण
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