ककरो पात भात नै ककरो घर खीर
ई केहन समाजवादक अछि तस्वीर
शासक केर आँखिमे सठि गेलै पानि
हे ईश्वर ककर सहत के ऐठां पीर
दुर्योधन मरल कहाँ मरदक मानससँ
नव-नव विधिसँ हरि रहल नारीके चीर
दोसर पर विजय सदति मनुषक छै सोच
जे अपनाक जीत लेलक से अछि वीर
देशक माटिमे मिलल छै हमरो घाम
दे हिस्सा समान दै छी धनियाँ जीर
विचलित छै समाज सगरो झूठक भीड
चिन्ता छोडि मोन कुन्दन राखू थीर
मफ़ऊलात-फ़ाइलातुन्-मफ़ऊलात
© कुन्दन कुमार कर्ण
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